रूस-यूक्रेन विवाद से 5,000 रुपये प्रति टन बढ़ीं स्टील की कीमतें, शेयर बाजार में भी दिखी भारी गिरावट

Steel Industry की ताज़ा ख़बर

Steel Industry की ताज़ा ख़बर-रूस और यूक्रेन के विवाद के कारण आज पूरे विश्व में तहलका मचा हुआ है। इतना ही नहीं इस विवाद के कारण तीसरे विश्वयुद्ध की संभावना भी नजर आ रही है। इसका सीधा असर व्यापार संबंधित हानि एवं शेयर बाजार में गिरावट पर दिख रहा है।

जब रसिया ने गुरुवार की सुबह को यूक्रेन पर हमले की घोषणा की तभी से घरेलू Share Market की गिरावट से संबंधित कई प्रकार की संभावनाएं व्यक्त की जा रही है और अब इस कारण अर्थव्यवस्था से संबंधित नई समस्याओं का दौर शुरू हो गया है। 

रूस-यूक्रेन
बढ़ीं स्टील की कीमतें – photo by etv bharat

कारोबार के शुरुआत में ही सेंसेक्स 1600 अंक पर गिरे

जानकारी के लिए बता दें कि रूस-यूक्रेन विवाद की खबरों के तुरंत बाद कारोबार के शुरू होते ही सेंसेक्स को 1600 अंक पर गिरते हुए देखा गया। इससे शेयर मार्केट के इन्वेस्टर्स को काफी नुकसान पहुंचा।

आगे भी यही संभावना जताई जा रही है कि शेयर बाजार के इन्वेस्टर्स को और अधिक नुकसान पहुंच सकता है। अब तक के मिले रिपोर्ट्स के मुताबिक बता दें कि 10 लाख करोड़ों रुपयों से भी अधिक की हानि बताई जा रही है।

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एचआरसी और टीएमटी बार की कीमतों में 5,000 रुपये प्रति टन की बढ़ोत्तरी

रूस और यूक्रेन कि विवादों के कारण आपूर्ति श्रृंखला का प्रभावित होना स्वाभाविक है। यही कारण है कि घरेलू इस्पात निर्माताओं के द्वारा हॉट रोल्ड कॉइल (एचआरसी) और टीएमटी बार की कीमतों में 5,000 रुपये प्रति टन बढ़ा दिए गए हैं।

इस्पात उद्योग ने अभी तक जो जानकारी दी है, उसके अनुसार इसकी कीमत में बढ़ोत्तरी कुछ दिनों में ही की गई है। यह भी कहा जा रहा है कि आने वाले हफ्तों में रूस और यूक्रेन के बीच यदि संकट और अधिक बढ़ते हैं तो इस्पात संबंधित इस कीमत को और अधिक बढ़ाया जा सकता है।

स्टील की कीमतों में बढ़ोत्तरी से माल का प्रभावित होना स्वाभाविक

उपभोक्ता के अनुकूल उद्योगों जैसे ऑटो, उपकरण और निर्माण, और रियल एस्टेट एचआरसी और टीएमटी बार में उपयोग किए जाते हैं। विशेषज्ञों के द्वारा यह भी कहा जा रहा है कि स्टील की कीमतों में जिस तरह की बढ़ोत्तरी हो रही है, उससे माल का प्रभावित होना स्वाभाविक ही है। इसका कारण यह है कि इन क्षेत्रों के लिए कच्चे माल के रूप में स्टील का उपयोग किया जाता है।

बीएसई पर लिस्टेड कंपनियों को 7 दिनों में हुए 16 लाख करोड़ के नुकसान

रिपोर्ट्स के मुताबिक यह भी बताया जा रहा है कि जो कंपनियां बीएसई पर लिस्टेड हैं, उनका मार्केट कैप 256 लाख करोड़ रुपए बीते दिन देखे गए थे लेकिन ठीक उसके अगले दिन बाजार की गिरावट के कारण यह 246 करोड़ रुपए तक पहुंच गए हैं।

कुल मिला कर बात की जाए नुकसान की तो रूस और यूक्रेन के विवाद के कारण 7 दिनों के आंकड़ों के अनुसार 16 लाख करोड़ के नुकसान हुए हैं।

बीएसई के 3507 कंपनियों में 224 कंपनियां ही दिखी हरे इंडेक्स पर

बीएसई के कंपनियों की बात करें तो इसके कुल 3507 कंपनियों में से 2758 कंपनियां ऐसी हैं, जिसके स्टॉक में भी भारी गिरावट हुई है। यह एक बहुत बड़ी गिरावट मानी जा रही है।

इतना ही नहीं ये कंपनियां लाल निशान पर इंडेक्स दिखा रहे हैं। कुल मिलाकर देखें तो केवल 224 कंपनियां ही बची हुई हैं, जिनके इंडेक्स हरे रंग के निशान में दिख रहे हैं। इसके अलावा कुल 95 कंपनियां ऐसी हैं, जिनके शेयर में स्थिरता देखी गई है।

$100 प्रति बैरल के मार्क भी हुए पार

यूक्रेन और रूस के विवाद के कारण रूस के बाजार में भी कम गिरावट नहीं आई है। रूस को अर्थव्यवस्था से संबंधित कई मुश्किल पड़ाव पार करने पड़ रहे हैं। यहां के शेयर बाजारों की हालत काफी बुरी है। आंकड़ों के अनुसार रूस के शेयर बाजार रिकॉर्डर हाई से लेकर 30 फीसदी तक गिरते हुए दिखे हैं।

शेयर बाजार की हालत देखते हुए यह भी कहा जा रहा है कि रूस के शेयर बाजार को सस्पेंड किया जा सकता है। इस विवाद के कारण कच्चे तेल में भी उबाल देखी गई है। इतना ही नहीं इस विवाद से $100 प्रति बैरल के मार्क भी पार हो चुके हैं। बता दें कि बैरल मार्क से संबंधित यही स्थिति 2014 में आई थी।

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